मत पूछो मैं कैसा हूँ
खोटा सिक्का-पैसा हूँ
बस जैसे-का-तैसा हूँ
बदल गई मेरी दुनिया पर
मैं वैसे-का-वैसा हूँ
अकल की ठंडी सिल्ली हूँ
असल में भीगी बिल्ली हूँ
मिस्टर शेखचिल्ली हूँ
खुद ही उड़ी एक खिल्ली हूँ
अहसानों का अनचुका बिल था
दाग बन गया जो तिल था
डस्ट बीन बन गया जो दिल था
अता-पता नहीं मंज़िल का
थक के बैठा हूँ रस्ते पे
राह अभी भी तकता हूँ
समझे कुछ खुदा भी न
जाने क्या-क्या बकता हूँ