ज़ाहिर है
जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012
मर गए तो
मर जाएँगे
हम तो अपने
घर जाएंगे।
सोचा था
दूर चला जाऊंगा
जाने कहाँ तक चला आया हूँ दूर
अभी तक नहीं जा पाया....
कितना कुछ सोच डाला
तुम्हारे बारे में
बिना तुमसे मिले...
तुझे पाने की चाहत समझा
खुद को खोकर
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