ज़ाहिर है
जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
पटाखे न चलाएँ
पटाखे न चलाएँ
कहीं दिवाली की शुभकामनाएँ
बन जाएँ
न संवेदनाएँ
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