बस स्टॉप पर खड़ा था ।
बस के इंतज़ार में।
बहुत देर से आई नहीं थी।
निराश और नाउम्मीद हो चुका था।
तभी भगवान ने मेरी बिना बोले ही सुन ली।
लो!
एक साथ दो बसें आ गईं।
एक साथ इतनी मेहरबानी बर्दाश्त न कर पाया।
समझ न पाया किसमें चढ़ूँ।
अनिर्णय से ठस्स खड़ा रह गया।
फिर जैसे अचानक होश आया।
पैर पहली बस की ओर भागे।
मन दूसरी बस की ओर भागा।
आख़िर पैरों को मन की माननी पड़ी।
पहली छोड़ दूसरी की ओर।
भागा।
लेकिन।
मेरे मन कछु और था वा ड्राइवर के मन कछु और।
रोकते-रोकते बस उसने आगे बढ़ा ली।
अब क्या होगा!!!
मेरे पैरों ने मेरे मन को माँभैन की गाली निकाली।
और पहली वाली की ओर भागे।
इस बार मन ने पैरों का साथ दिया।
लेकिन यह साथ कुछ काम न आया।
पहली वाली भी चल पड़ी।
निकल गई।
मैं खड़ा देखता रह गया।
छूट गई।
अगली वाली जब तक आए।
तब तक।
सोचा।
सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर।
यह पोस्ट ही लिख लूँ।
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बस के इंतज़ार में।
बहुत देर से आई नहीं थी।
निराश और नाउम्मीद हो चुका था।
तभी भगवान ने मेरी बिना बोले ही सुन ली।
लो!
एक साथ दो बसें आ गईं।
एक साथ इतनी मेहरबानी बर्दाश्त न कर पाया।
समझ न पाया किसमें चढ़ूँ।
अनिर्णय से ठस्स खड़ा रह गया।
फिर जैसे अचानक होश आया।
पैर पहली बस की ओर भागे।
मन दूसरी बस की ओर भागा।
आख़िर पैरों को मन की माननी पड़ी।
पहली छोड़ दूसरी की ओर।
भागा।
लेकिन।
मेरे मन कछु और था वा ड्राइवर के मन कछु और।
रोकते-रोकते बस उसने आगे बढ़ा ली।
अब क्या होगा!!!
मेरे पैरों ने मेरे मन को माँभैन की गाली निकाली।
और पहली वाली की ओर भागे।
इस बार मन ने पैरों का साथ दिया।
लेकिन यह साथ कुछ काम न आया।
पहली वाली भी चल पड़ी।
निकल गई।
मैं खड़ा देखता रह गया।
छूट गई।
अगली वाली जब तक आए।
तब तक।
सोचा।
सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर।
यह पोस्ट ही लिख लूँ।
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