#मेरीवैसीऐसीपोस्ट
कल सोचा था कि
तुम्हें गुलाब भेंट करूँगा, लेकिन तुम्हें
बड़ौदा हाउस से 6.40 वाली बस मिल गई और मेरे आने से पहले तुमको बस
की खिड़की के बगल वाली सीट मिल चुकी थी और रेल के इंजन के मॉडल के पास खड़ा, जाती हुई बस को देखता रह गया मैं।
रेल के उस इंजन के मॉडल को रोज़ धो-पोंछकर, दुलारकर, पेंट वगैरह करके चमका कर रखा जाता है मगर वो इंजन न तो किसी डिब्बे के काम का
है न ही उस कमबख़्त को ख़ुद अकेले ही कहीं जाना है। उसे बस खड़े-खड़े वहीं सीटी
मारकर ख़ुश हो लेना है। उस इंजन के पास खड़ा मैं ख़ुद को बहुत बेइंजन महसूस कर रहा
था – बिफोर इंटरवल 'छोटी सी बात' के अमोल पालेकर जैसा। मैं दुआ कर रहा था कि बस की खिड़की से बाहर देखती तुम 'न जाने क्यूँ होता है ये ज़िंदगी के साथ' गाने की
पंक्तियाँ गुनगुना रही हो।
मंडी हाउस के कोपरनिकस मार्ग पर लुटियंस की
दिल्ली के बाक़ी हिस्सों की तरह सेंट्रल विस्टा का काम चल रहा है। इस कारण सारे
फुटपाथ खुदे पड़े हैं। जब तक उन्हें
अपने डगमगाते क़दमों से मैं पूरा नाप पाता तब तक तुम निकल गईं।
वह गुलाब आज भी मेरे बैग में है। सोचा, वेस्ट
क्यों करूँ। आज ले लोगी न कल का गुलाब?
मैं आज
तुम्हें प्रपोज़ करना चाहता हूँ कि तुम जब भी गुलाब का फूल लोगी, मुझी से लोगी। अगर तुम स्वीकार कर लो तो
बड़ौदा हाउस से ऑटो लेकर अपन दोनों कस्तूरबा गाँधी मार्ग से होते हुए कनॉट प्लेस
चलेंगे और रिवोली के पास हनुमान मंदिर पर कुल्हड़ में चाय पियेंगे।
और सुनो, चॉकलेट मुझे पसंद नहीं
है, डैडी बचपन से ही कहते आए हैं
चॉकलेट खाने से दाँत ख़राब हो जाते हैं। वो कहते हैं कोई फ्रूट वग़ैरह
खाना चाहिए। सेहत बनाने वाली चीज़ें खानी चाहिए। इसलिये कल चॉकलेट डे पर मैं डेयरी
मिल्क की सत्तर रुपये वाली चॉकलेट ख़रीदने की बजाय मदर डेयरी से 70 रूपये का पैक
पनीर ख़रीद लूँगा। हम दोनों सेंट्रल पार्क में धूप सेंकते हुए पनीर पर काला नमक
छिड़ककर खाएँगे। टूथपिक तुम लेती आना, मुझसे गुम जाती हैं।