जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
दिल की पुकार तुम तक पहुँचाने में फेफड़े भी मिरे हलकान हुए
पर तुम्हारे कानों में सुनने का जिगर गुर्दा न था।
24 May
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