जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
1995 के आसपास लिखी गई पंक्तियाँ
लड़का
भाग रहा है
सड़क पर
नंगे पाँव
पहिया दौडाते हुए
मैं
देख रहा हूँ उसे
पहिया बनते हुए...
विजय सिंह
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