जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
बहुत सुन्दर...सर आपकी बात पे एक दोहा...अनवोला जो रह गया, वो है साँचा नेहमन का पन्छी उड़ गया, धू धू जलती देह.
खूबसूरत।
बहुत गहरी कविता है विजय भाई
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसर आपकी बात पे एक दोहा...
अनवोला जो रह गया, वो है साँचा नेह
मन का पन्छी उड़ गया, धू धू जलती देह.
खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी कविता है विजय भाई
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