जब भी कोई नाट्य प्रस्तुति देखता हूँ, अभिनेताओं और निर्देशक के प्रति कृतज्ञता से भर जाता हूँ।
कई प्रस्तुतियाँ बेहद अच्छी होती हैं, कई कम अच्छी और कुछ-कुछ ऐसी भी कही जा सकती हैं जो प्रभावित न करती हों या एकदम यूँ कहें कि बेकार हों।
लेकिन एक घटिया-सी प्रस्तुति में भी काफ़ी मेहनत तो लगी ही होती है। साथ ही, उसे दर्शकों के सम्मुख लेकर आने में ग़ज़ब की हिम्मत और एक अजब-सा आत्मविश्वास चाहिए होता है।
मेरा मन उस हिम्मत और आत्मविश्वास को सलाम करने का होता है। क्योंकि यह दोनों ही मुझमें नहीं हैं।
बतौर एक रंगकर्मी मैं जब निर्देशक होने के बारे में सोचते हुए किसी कमतर-से लगने वाले नाटक को देखता हूँ, तो पाता हूँ कि इससे अच्छा तो क्या मैं कभी ऐसा नाटक भी निर्देशित नहीं कर पाऊँगा जैसा मैं देख रहा हूँ।
9 December 2020
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