बहुत कुछ कर जाना चाहता हूँ मरने से पहले। मगर कुछ करने के लिए जीना सबसे पहली शर्त है और जीना आया ही नहीं।
बस केवल आसन्न किंतु अदृश्य मृत्यु को टालने भर को जीता रहा हूँ अब तक। इतने भर को अपनी सक्सेस मानकर संतोष की सांस ली है, इस सफलता का जश्न मनाना तो दूर की बात ठहरी क्योंकि हरेक की तरह मैं भी, मानता तो नहीं पर जानता हूँ कि मृत्यु टाली नहीं जा सकती।
अब कुछ यूँ सोचता हूँ कि चाय पी लूँ मरने से पहले।
26 November 2019
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