मंगलवार, 10 जून 2025

भविष्य

 कोई ऐसा भी समय था जब भविष्य हुआ करता था

अब भविष्य अतीत की बात हो गई है

वर्तमान खोद रहा है अतीत की कब्र और देख रहा है उसमें भविष्य का स्वप्न

यही प्रमाण है 

भविष्य के ना होने का


भविष्य तो अवश्यंभावी होता है पर 

जानने वाले लोग बताते हैं कि भविष्य ख़ुद चलकर नहीं आता 

वर्तमान को दांव पर लगाना पड़ता है


देख पाने वाले लोग बता रहे हैं कि भयावह है वह

अंधकारमय नहीं है पर 

रौशनी आँख को अंधा कर देने के लिये होगी

लेकिन उनकी बात अतीत के जश्न के शोर में डूब रही है


छोड़ो कल की बातें।

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