ज़ाहिर है
जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
बुधवार, 7 सितंबर 2011
अंतत:
जिसे तुम कहे बगैर जान नहीं पाए
मेरे कह देने पर भी कैसे जान जाते
कहकर
मुक्त होकर
बंध गया हूँ
कहा नहीं जो तुमने
सुनकर
मुक्त करता हूँ
बंधन
जो कभी था ही नहीं
विजय सिंह
04 सितम्बर 2011
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