यही तो आज का कल्चर है पर अगर आप अपने पर भरोसा रखते है और स्वयं की नजरों में सम्मानित होना चाहते हैं तो विरोध करना भी आना चाहिये। मूक बधिरों की तरह सहमति से जीने का कार्य तो मनुष्य के अलावा सभी करते हैं। हम अलग हैं तभी तो मानव हैं। क्यों क्या कुछ गलत कहा?
यही तो आज का कल्चर है पर अगर आप अपने पर भरोसा रखते है और स्वयं की नजरों में सम्मानित होना चाहते हैं तो विरोध करना भी आना चाहिये। मूक बधिरों की तरह सहमति से जीने का कार्य तो मनुष्य के अलावा सभी करते हैं। हम अलग हैं तभी तो मानव हैं। क्यों क्या कुछ गलत कहा?
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