ज़ाहिर है
जो मुझ पर ज़ाहिर हुआ है या जिसका मुझसे कुछ भी वास्ता है
गुरुवार, 18 जुलाई 2013
चल रही हैं साँसे
इस उम्मीद में
के किसी दिन जी उठूँगा
विजय सिंह
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