बुधवार, 11 मई 2011

मैं यहाँ हूँ 
जीवन सितार से तार-सा बंधा
समय की उंगलियाँ छेड़ती हैं 
दर्द होता है 
कांपता हूँ देर तक 
पर मज़ा आता है. 

जितना तुम कसते जाते हो 
और मीठा होता जाता है 
मेरा राग 

टूट जाऊंगा एक झंकार के साथ  

दर्द होता है 
कांपता हूँ देर तक
पर मज़ा आता है.