शनिवार, 2 जुलाई 2011

मेरा रोमांटिसिज़्म


मैं और मेरी तनहाई
अक्सर ये बातें करते हैं

मनचाहे विभाग में
नौकरी सरकारी मिल जाती
तो कैसा होता

रोजाना आराम से दफ्तर जाता
और वक़्त से पहले शुरू करके
ढाई बजे तक लंच खाता
फ़ाईलों पर एहसान जताता
बैंक बैलेन्स बढ़ाता
और रहता सिस्टम से नाराज़

मैं रोज़ शाम को वक़्त पर घर आ जाता
न्यूज़ चैनल बदलते हुए हुए डिनर करता
डिस्कवरी देखते हुए बच्चों को आईसक्रीम खिलाता
उतरन देखकर सोता
अपनी प्रमोशन और कूलीग की कमोशन
के सपने देखता

मैं और मेरी तनहाई अक्सर ये बातें करते हैं