मंगलवार, 24 अगस्त 2021

 अच्छा (कृपया इसे बड़ा पढ़ें) एक्टर बनूँ 

या बड़ा बाबू (और इसे अफसर) 

इस उधेड़बुन (कृपया इसे कन्फ़्यूजन न पढ़ें) में सो नहीं पाता रात भर 

दिन भर मुझे यह पता चलता रहता है कि मैं इन दोनों से कुछ भी बन पाने से कोसों दूर हूँ अभी भी (इसे जीवन की देर दोपहर न भी पढ़ें तो है तो लेट आफ्टरनून ही)  

बात बस इतनी सी है जी कुछ भी बस का नहीं है अपने 

इसी बात पर एक समोसा हो जाए।


24 August 2015

 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10227002675232436&id=1221171385


कृपया ध्यान दें, यह पोस्ट रोमांटिक नहीं, अपितु मेरे देशप्रेम के बारे में है


जब दुनिया का काफ़िला अपनी रफ़्तार से हरक़त में था तभी सड़क पर चलता हुआ डॉगी मुझे दूर से ही देख रुक गया था। पता उसे चल गया था कि मैंने एक तस्वीर लेने के लिए मोबाइल निकाला है। नादान श्वान इस बात से अन्जान था कि मेरी कोशिश ज़मीन से आसमान तक गुज़रते पल की छायाप्रति लेने की है। 


सड़क पर टहलते हुए जब मैंने चाँद देखा, तो सोचा तुम छत पर दिन में सूखने के लिए फैलाए गए और अब आधे सीले रह गए कपड़ों और डबल बेड की धोई गई शीटों को उतारने गई होगी और न चाहते हुए भी, मुझ पर झल्लाते हुए भी, एकाध बार तो चंद्रमा की ओर तुमने भी देख ही लिया होगा।


चंद्रमा को देख कर तुम अभी भी याद आती हो। हालांकि अभी घर से निकले मुझे ज़्यादा समय न हुआ था, और निकलकर भी, तुमने सैंडविच बनाने के लिए जो आधा किलो खीरे मंगवाए थे, और भरता बनाने के लिए जो गोल बैंगन मँगवाए थे, डैडी मम्मी की गैस्ट्रिक प्रॉब्लम को ध्यान में रखकर जो जीरा ड्रिंक की बोतलें मँगवाई थीं उन्हें डिलीवर करता हुआ मैं फिर से तुम्हें देख आया था तो भी तुम्हारी याद आने लगी थी और देखो मुझे! चंद्रमा को देखते हुए मैं तुम्हें सोचते हुए यही सोच पा रहा था कि चाँद को देखा तो होगा तुमने, पर मुझ पर झल्लाते हुए। जबकि दिन के फ़र्स्ट हाफ में राखी के लिए आई मेरी बहन, जीजा और भानजी की आवभगत के बाद जब तुम संडे के संडे धुलने वाले डेढ सौ कपड़ों और बेडशीट्स को वाशिंग मशीन में धो रही थीं, तो मैं उस समय राखी से सजी कलाई लिए हाथों से बर्तन धो रहा था और उसके बाद धुले हुए कपड़ों की बाल्टी लेकर बरसाती दिनों की सड़ी हुई उमस भरी धूप में छत पर नंगे पांव गया था तुम्हारे साथ। पतंग उड़ाने में सहूलियत की ख़ातिर कपड़े सुखाने की जो रस्सी टीनेज में दाखिल होते हमारे दोनों लड़कों ने निकाल दी थी उस रस्सी को कुशलता से पुनः बाँधकर और कपड़े सूखने के लिए फैलाने में तुम्हारी हेल्प करके और इधर-उधर बिखरी पड़ी चिमटियों को कपड़ों पर लगाने के लिए ढूँढ-ढाँढकर तुम्हें देकर ही मैं सोनीलिव पर हॉलीवुड की फ़िल्म 'ऐज़ गुड ऐज़ इट गेट्स' के बचे हुए आख़िरी तीस मिनट्स देखने नीचे कमरे में आया था। रात को उन्हीं कपड़ों को रस्सी से उतारते हुए तुम मुझ पर गुस्सा हो रही होगी ऐसा मैंने सोचा, क्योंकि तुम्हें नीचे जाकर खाना भी बनाना था।


फिर एक और जगह मुझे चाँद दिखा तो मैंने फिर तस्वीर उतार ली। घर पर आकर यह जानते हुए भी कि तुम नीचे रसोई में मम्मी की निगरानी में खाना बना रही हो, तुम्हें देखने छत पर गया। 


वहाँ जाकर देखता क्या हूँ कि पड़ोसी के मकान की छत के ऊपर चंद्रमा सुशोभित है। लेकिन उस छत पर लगे तिरंगे को देख मेरे मन में पहले से ही व्याप्त राष्ट्रप्रेम ऐवरी अदर थॉट को एक तरफ़ ठेलकर हिलोरें लेने लगा। मैंने सन्नद्ध होकर छत पर अँधेरे भरे सन्नाटे में गर्व से राष्ट्र गान गाया और छत से नीचे उतर आया।


जय हिंद!!

22 अगस्त 2021

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

 उसकी याद में रात भर रोता रहा 

नाइट शिफ्ट के बाद दिन भर सोता रहा

13 August 2018

रविवार, 8 अगस्त 2021

 सब जानते हैं राम मंदिर से क्या होगा।


भक्तों की वालों पर जाकर देख आया हूँ। सब यही कह रहे हैं टूरिज़्म को बढ़ावा मिलेगा, आसपास के लोगों को बिज़नस मिलेगा। 


इसका मतलब यह भी है कि रोज़गार देना इनके बस का नहीं। इनकी सरकार मंदिर भरोसे ही है। अंध-धार्मिकता से ही इनका ख़ुद का रोज़गार चल रहा है, ये ख़ुद उसी के भरोसे सत्ता में हैं। कोई रचनात्मक कार्यक्रम इनके पास नहीं है।


एक तरफ़ पूरा विश्व आगे आने वाले समय की चुनौतियों को ध्यान में रखकर बिज़नेस और अन्य गतिविधियों के नए तरीकों से ख़ुद को लैस कर रहा है, नए माडल तैयार कर रहा है।


दूसरी तरफ़ यह लोग हैं जो मंदिर के आसपास रोज़गार ढूँढ रहे हैं - यानी नए डिंगीनुमा होटल चलाना जिनमें बाल या टीनेज श्रमिकों की भरमार होगी जिन्हें हम प्यार से छोटू कहते हैं। 


दूसरा रोज़गार होगा मंदिर तक जाने की सड़क पर रामनामी दुपट्टों, कंठीमाला, शंख प्रसाद की थाली, फूलमाला, और राम जी की फोटू बेचने तथा राम के नाम पर भौंडी फ़िल्मी धुनों पर गाए गए गीतों की एमपी थ्री की प्रोडक्शन व बिक्री। 


इन तथाकथित हिंदुओं में से कोई माई का लाल बता दे कि अपने बच्चे को ऐसे रोज़गार में डालना चाहेगा वो। 


और मज़ेदार बात यह भी है कि ये लोग मुसलमानों को मिली पाँच ऐकड़ ज़मीन  पर अस्पताल या स्कूल बनवाने की सलाह दे रहे हैं।

8 अगस्त 2020