गुरुवार, 25 नवंबर 2010

जब-जब मैंने उसे फ़ोन किया

एक मशीनी आवाज़ ने मुझको
थोड़ी देर इंतज़ार करने को कहा
या फिर थोड़ी देर में डायल करने को

इंतज़ार तो मैंने सदियों किया है...

बाद में फ़ोन करने पर
पता चला
उसकी लाइन कहीं और मिल गई है...

सूचना क्रांति के इस शोरो गुल में
कोई मेरी आवाज़ नहीं सुनेगा
नेटवर्क बिजी रहेगा

आखिर कोई कितने रिचार्ज  ऑप्शंस अपनाए
कितने सिम बदले
ज़िन्दगी सम पर नहीं आती
विषम है संवाद

बेहतर है
मैं अपना फ़ोन स्विच ऑफ़ कर दूं ...

2 टिप्‍पणियां:

  1. हार्दिक बधाई ...शुभकामनायें ....अब आपके सृजन के अविरल प्रवाह से ये मकडजाल भी
    रोशन होगा ...आपकी बातों का ज़िक्र अब आस्मा में होगा

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  2. bhaijaan kasam se maza aa gaya kya baat kahi hai aap ne such me zindigi ka network hamesha busy rahta hai.

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