बुधवार, 8 मार्च 2017

मेरा जीवन इक खुली किताब है
हालांकि कुछ पन्नों को स्टेपल कर बंद कर रखा है
और कुछ पन्नों को फेविकोल से आपस में चिपका दिया है
हालांकि जीवन मेरा खुली इक किताब है
पर अब पन्नों की गिनती के चक्कर में न ही पड़ा जाए तो अच्छा
कुछ पन्ने तो फाड़ ही डालें हैं
कुछ पन्नों को आधा-अधूरा फाड़ा है इस चालाकी से कि कटे-फटे वे सुंदर दीखते हैं और क्यों फाड़े गए से संबन्धित प्रश्न पैदा नहीं हो पाते देखने वाले की आँख में
जो हो इक खुली किताब मेरा जीवन है
कुछ पन्नों पर जो लिखा था उसके ऊपर ही कुछ ऐसा लिख दिया है कि क्या लिखा था पढ़ा न जा सके
कुछ कारीगरी सी कुछ मॉडर्न आर्ट सा कुछ एब्स्ट्राक्ट सा डरावना सा गुंझल सा गड्ड-मड्ड सामने यूं आता है कि किताब पढ़ने वाला उन पन्नों को जस्ट लाइक नज़रअंदाज़ करके अगले पन्नों पर चला जाता है
है पर जीवन इक खुली किताब मेरा
किताब का कवर पुराना पड़ता जा रहा है
नए-नए दाग़-ए-निहाँ जड़ता जा रहा है
 झड़ता-सा जा रहा है फिर भी
पन्नों को बचाने का बहाना बनाकर खुद को ज़बरदस्ती उन पर मढ़ता जा रहा है
मगर कवर से आपको क्या
किताब तो खुली है
मत पढिए इसे मगर हवा के झोंको में इसके पन्नों को फड़फड़ाते देखिए
ज़िंदगी के अक्षर कैसे कई पन्नों को खाली और वीरान छोड़ घबराकर निकल भागते हैं अजूबा करिश्मा देखिए
 जी हाँ यही वो पन्ने थे जिन्हें बता तेरी रज़ा क्या है वाली बात से इंस्पायर होकर भरा जाना था बट इस या उस वजह से दीज़ पेजेज़ रिमेंड ब्लैंक
पॉइंट ब्लैंक
इनमें से कुछ पन्नों पर अक्षर बेचारे हाशिये पर इंतज़ार करते रहे पन्नों के बीच आने का छा जाने का
कुछ पन्नों के बीच आपको कुछ सूखे हुए फूल नज़र आएंगे
इनमें से कुछ फूल तो बिलकुल सूख चुके हैं
कुछ पर पानी डाल दो तो एक नर्सरी खड़ी हो जाए
न बाबा न
मगर एक बात सबमें कॉमन है
खुशबू सब में से अभी भी आती है साली
अपने प्रकाशक पर इतराती है लेकिन यह किताब जो दरअसल एक डायरी की तरह निकाली गई थी
इसीलिए कुछ पन्ने जो बचे हैं दिखाई खाली देते है मगर जनाब इनपर लिखा क्या जाना है मैं तय करूँ यह मेरे बस से बाहर की बात हो चुकी है हालांकि कलम जैसी कोई चीज़ अगर होती हो तो वो अभी भी मेरे हाथ में है।
जो भी हो
इतना तो ज़रूर कहूँगा
जीवन इक खुली किताब है मेरा

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