सोमवार, 20 जून 2011

बाप दिन पर विशेष


कल फादर्स दिवस पर मेरी अपने बाप से
खूब हाथापाई हुई
उसने छुई
मेरी दुखती हुई रग
और छेड़ दिया मेरी असफलताओं का राग

बोला नहीं तू क्यूं करता भागमभाग
क्या नहीं बची तेरे अन्दर कोई भी आग
उठ बे जाग
देख अपने फलां-फलां साथियों को

और गिनाने लगा वो दूसरे मेरे हमउम्रों की
सफलताएँ (?)

मैंने कहा
बे
बाप
सुन
मत कर चुनचुन
पकड़ ली तैने
बस एक ही धुन

जो सफल हुए उनके बहुत-से बाप हैंगे
औ' मेरे तो प्रिय बापजी बस आप हैंगे

पर उसके दुख से मैं अनजान नहीं था
कपड़े सिलकर हमें पालने वाले 'मास्टर' का
क्या कोई अरमान नहीं था?

मैंने कहा चिंता मत कर यार
मैं तरक़्क़ी के रास्ते पे चल पड़ा हूँ
मतलब का बाप ढूँढने निकल पड़ा हूँ ।

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