शनिवार, 24 सितंबर 2011

बन गया मैं शिष्ट वल्चर 
नोटों का सीखा जो कल्चर 
प्रथम श्रेणी की पा गया डिग्री 
किया जो मैंने सबको एग्री
सम्मान बढ़ा एग्रीकल्चर के प्रति 
सीखी मैंने सहमति की संस्कृति 

1 टिप्पणी:

  1. यही तो आज का कल्चर है पर अगर आप अपने पर भरोसा रखते है और स्वयं की नजरों में सम्मानित होना चाहते हैं तो विरोध करना भी आना चाहिये। मूक बधिरों की तरह सहमति से जीने का कार्य तो मनुष्य के अलावा सभी करते हैं। हम अलग हैं तभी तो मानव हैं। क्यों क्या कुछ गलत कहा?

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