मंगलवार, 24 नवंबर 2020

ट्रेन में अकेले यात्रा

18 November 2018

भाईसाहब आप अकेले हैं?

जी हाँ
आप प्लीज़ मेरे हसबैंड की जगह ले लीजिए।
जी!!!????
मेरा मतलब मेरे हसबैंड की सीट दूसरे कोच में है, हम दोनों यहाँ साथ बैठ जाएँगे।
देखिए, अभी सामान सेट किया ही है मैंने।
आप ही वहाँ क्यों नहीं चली जातीं?
सर वहाँ कोई अकेला नहीं है जिससे सीट स्वैप की जा सके।
प्लीज़!!!
चलिये ठीक है।
मेहरबानी भाईसाहब।
सी-नाइन सिक्स्टी फाइव।
विंडो सीट है।
जी। विंडो सीट की बड़ी सौग़ात बख़्शने के लिए शुक्रिया।
वैसे मैं बता दूँ, मैं अभी कोच सी-नाइन ही से यहाँ सी-फ़ाइव में आया हूँ। सीट नंबर सिक्स्टी-थ्री से।
वहाँ पिछले स्टेशन पर चढ़े एक बुज़ुर्ग ने मुझसे यहाँ सी-फाइव में आने की रिक्वेस्ट की थी।
मेरी ओरिजनल अलॉटेड सीट सी-फोर में थर्टी-सिक्स थी।
आप देख ही रही हैं इंजन से कितना दूर है यह और इसके पीछे वाले डिब्बे।
एस्केलेटर तो पहले प्लैटफॉर्म पर ही ठहरा। घरवालों के अरमानों जैसा हैवी लगेज लेकर प्लैटफॉर्म-थ्री की सीढ़ियाँ अपने आप उतरनी पड़ीं।
ऊबड़-खाबड़ प्लैटफॉर्म पर डगमगाते अपने सूटकेस को ड्रैग करके, आधे लेटे आधे बैठे और बाक़ी टकराने को ऐंवेंई रास्ते में आते अपनी गाड़ी की इंतज़ार में गड़े मुसाफिरों को क्रॉस करके लगभग 12 डिब्बे पार करके सी-फोर तक आया था और ज़ोर लगाके हइसा के उद्-घोष के साथ सूटकेस चढ़ाकर और धकियाकर अपनी सीट पर पहुँचा ही था।
देखा कि मेरी सीट पर एक आंटीजी पहले से ही विराजमान थीं।
पसीना भी सूखा न था मेरा। गाड़ी चल दी थी।
आंटीजी के निवेदन पर सी-नाइन जाना पड़ा। वहाँ से यहाँ सी-फ़ाइव और अब फिर से सी-नाइन। बोले तो सफ़र के अंदर सफ़र एंड सफ्फर।
इन सब निवेदनकर्ताओं की आँखों में देवलोकीय कातरता थी। उम्मीद करता हूँ, अब आइ विल फेस नो मोर निवेदंस। बीच के डिब्बों वाले यात्री मॉब लिंचिंग की एक गोल्डन अपॉर्चुनिटी की तरह मुझे देखते हुए लार टपका रहे हैं।
मोरल अॉफ़ द स्टोरी -
ट्रेन में अकेले यात्रा न करें।

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