मंगलवार, 24 अगस्त 2021

 अच्छा (कृपया इसे बड़ा पढ़ें) एक्टर बनूँ 

या बड़ा बाबू (और इसे अफसर) 

इस उधेड़बुन (कृपया इसे कन्फ़्यूजन न पढ़ें) में सो नहीं पाता रात भर 

दिन भर मुझे यह पता चलता रहता है कि मैं इन दोनों से कुछ भी बन पाने से कोसों दूर हूँ अभी भी (इसे जीवन की देर दोपहर न भी पढ़ें तो है तो लेट आफ्टरनून ही)  

बात बस इतनी सी है जी कुछ भी बस का नहीं है अपने 

इसी बात पर एक समोसा हो जाए।


24 August 2015

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