रविवार, 8 अगस्त 2021

 सब जानते हैं राम मंदिर से क्या होगा।


भक्तों की वालों पर जाकर देख आया हूँ। सब यही कह रहे हैं टूरिज़्म को बढ़ावा मिलेगा, आसपास के लोगों को बिज़नस मिलेगा। 


इसका मतलब यह भी है कि रोज़गार देना इनके बस का नहीं। इनकी सरकार मंदिर भरोसे ही है। अंध-धार्मिकता से ही इनका ख़ुद का रोज़गार चल रहा है, ये ख़ुद उसी के भरोसे सत्ता में हैं। कोई रचनात्मक कार्यक्रम इनके पास नहीं है।


एक तरफ़ पूरा विश्व आगे आने वाले समय की चुनौतियों को ध्यान में रखकर बिज़नेस और अन्य गतिविधियों के नए तरीकों से ख़ुद को लैस कर रहा है, नए माडल तैयार कर रहा है।


दूसरी तरफ़ यह लोग हैं जो मंदिर के आसपास रोज़गार ढूँढ रहे हैं - यानी नए डिंगीनुमा होटल चलाना जिनमें बाल या टीनेज श्रमिकों की भरमार होगी जिन्हें हम प्यार से छोटू कहते हैं। 


दूसरा रोज़गार होगा मंदिर तक जाने की सड़क पर रामनामी दुपट्टों, कंठीमाला, शंख प्रसाद की थाली, फूलमाला, और राम जी की फोटू बेचने तथा राम के नाम पर भौंडी फ़िल्मी धुनों पर गाए गए गीतों की एमपी थ्री की प्रोडक्शन व बिक्री। 


इन तथाकथित हिंदुओं में से कोई माई का लाल बता दे कि अपने बच्चे को ऐसे रोज़गार में डालना चाहेगा वो। 


और मज़ेदार बात यह भी है कि ये लोग मुसलमानों को मिली पाँच ऐकड़ ज़मीन  पर अस्पताल या स्कूल बनवाने की सलाह दे रहे हैं।

8 अगस्त 2020

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