मंगलवार, 24 अगस्त 2021

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कृपया ध्यान दें, यह पोस्ट रोमांटिक नहीं, अपितु मेरे देशप्रेम के बारे में है


जब दुनिया का काफ़िला अपनी रफ़्तार से हरक़त में था तभी सड़क पर चलता हुआ डॉगी मुझे दूर से ही देख रुक गया था। पता उसे चल गया था कि मैंने एक तस्वीर लेने के लिए मोबाइल निकाला है। नादान श्वान इस बात से अन्जान था कि मेरी कोशिश ज़मीन से आसमान तक गुज़रते पल की छायाप्रति लेने की है। 


सड़क पर टहलते हुए जब मैंने चाँद देखा, तो सोचा तुम छत पर दिन में सूखने के लिए फैलाए गए और अब आधे सीले रह गए कपड़ों और डबल बेड की धोई गई शीटों को उतारने गई होगी और न चाहते हुए भी, मुझ पर झल्लाते हुए भी, एकाध बार तो चंद्रमा की ओर तुमने भी देख ही लिया होगा।


चंद्रमा को देख कर तुम अभी भी याद आती हो। हालांकि अभी घर से निकले मुझे ज़्यादा समय न हुआ था, और निकलकर भी, तुमने सैंडविच बनाने के लिए जो आधा किलो खीरे मंगवाए थे, और भरता बनाने के लिए जो गोल बैंगन मँगवाए थे, डैडी मम्मी की गैस्ट्रिक प्रॉब्लम को ध्यान में रखकर जो जीरा ड्रिंक की बोतलें मँगवाई थीं उन्हें डिलीवर करता हुआ मैं फिर से तुम्हें देख आया था तो भी तुम्हारी याद आने लगी थी और देखो मुझे! चंद्रमा को देखते हुए मैं तुम्हें सोचते हुए यही सोच पा रहा था कि चाँद को देखा तो होगा तुमने, पर मुझ पर झल्लाते हुए। जबकि दिन के फ़र्स्ट हाफ में राखी के लिए आई मेरी बहन, जीजा और भानजी की आवभगत के बाद जब तुम संडे के संडे धुलने वाले डेढ सौ कपड़ों और बेडशीट्स को वाशिंग मशीन में धो रही थीं, तो मैं उस समय राखी से सजी कलाई लिए हाथों से बर्तन धो रहा था और उसके बाद धुले हुए कपड़ों की बाल्टी लेकर बरसाती दिनों की सड़ी हुई उमस भरी धूप में छत पर नंगे पांव गया था तुम्हारे साथ। पतंग उड़ाने में सहूलियत की ख़ातिर कपड़े सुखाने की जो रस्सी टीनेज में दाखिल होते हमारे दोनों लड़कों ने निकाल दी थी उस रस्सी को कुशलता से पुनः बाँधकर और कपड़े सूखने के लिए फैलाने में तुम्हारी हेल्प करके और इधर-उधर बिखरी पड़ी चिमटियों को कपड़ों पर लगाने के लिए ढूँढ-ढाँढकर तुम्हें देकर ही मैं सोनीलिव पर हॉलीवुड की फ़िल्म 'ऐज़ गुड ऐज़ इट गेट्स' के बचे हुए आख़िरी तीस मिनट्स देखने नीचे कमरे में आया था। रात को उन्हीं कपड़ों को रस्सी से उतारते हुए तुम मुझ पर गुस्सा हो रही होगी ऐसा मैंने सोचा, क्योंकि तुम्हें नीचे जाकर खाना भी बनाना था।


फिर एक और जगह मुझे चाँद दिखा तो मैंने फिर तस्वीर उतार ली। घर पर आकर यह जानते हुए भी कि तुम नीचे रसोई में मम्मी की निगरानी में खाना बना रही हो, तुम्हें देखने छत पर गया। 


वहाँ जाकर देखता क्या हूँ कि पड़ोसी के मकान की छत के ऊपर चंद्रमा सुशोभित है। लेकिन उस छत पर लगे तिरंगे को देख मेरे मन में पहले से ही व्याप्त राष्ट्रप्रेम ऐवरी अदर थॉट को एक तरफ़ ठेलकर हिलोरें लेने लगा। मैंने सन्नद्ध होकर छत पर अँधेरे भरे सन्नाटे में गर्व से राष्ट्र गान गाया और छत से नीचे उतर आया।


जय हिंद!!

22 अगस्त 2021

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