शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

वे हार गए
यह भी उनकी
किरपा ही है।
वरना जीत तो उनके सदावत्सल चरणों में 
वंदन कर-कर लोट लोट
गई थी हार कि हे नाथ!
मोहे ना इग्नोरो!
उनके त्रिविक्रम चरणों को आँसुओं से सींचती जीत
छिने जाने के डर से कांप रही थी।
वे कुछ ऐतिहासिक क्षणों के लिए सिंहासन से अनारूढ़ हुए।
उन्होंने पैरों पड़ी बेचारी अबला विजय की पीठ थपथपाई,
चरणों से उठा अपने युगबाहुओं में ले
अपने छपंची सीने से लगाते हुए
रोती हुई सफलता को पुचकारकर अलग करते हुए दिलासापूर्ण स्वर में बोले -
हम 2019 में तुम्हें लेने आएँगे प्रिये!
तब तक तुम धैर्य धरो।
अपने सत्तरवर्षीय पुराने घर में रहो
आख़िर वहाँ भी हमारे भाई-बंधू सखा-मित्र ही हैं।
अभी यू हैव अ डेट विद देम!
हमारी सेना सुस्त न पड़ जाए इसीलिए यह उपक्रम है।
वरना तुम्हारे लिए हमीं क्या कम हैं?
कुछ कुसंस्कारी भक्त तुम्हें लाइटली लेने लगे थे प्रियंके
अच्छा हुआ जो उनके
लग गए लंके
जो स्टार परचारक बने-बने घूमते थे
मुझे रिप्लेस करने को
भागवत चरण चूमते थे।

कुछ तुम्हारे हमारे
अंक से बंक मारने से
इवीएमीकली भी विराम रहेगा
फिर कुछ ही माह पश्चात प्रेम परवान चढ़ेगा
वैसे भी इस हार का ठीकरा हम पर न किसी ने फोड़ा है
आपण अभी भी लंबी रेस का घोड़ा है
जीतते तो श्रेय किंतु हमें जाता
तड़ीपार
फिर एक बार
मास्टरमाइंड कहलाता।
देखो
फॉर द टाइम बीइंग
धैर्य हमने धरा है
गोकि दिल अभी न भरा है
प्रिये अभी तुम्हें जाना होगा
पिज़्ज़ा खाकर आना होगा
लेट देम रिमेन कॉन्फिडेंट
जिसे फिर हम करेंगे डेंट
कर लेने दो न हमें
कुछ नये नारे इन्वेंट।

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