शनिवार, 29 दिसंबर 2018

एक्सीडेंटल था
उस पर किसी और का कंटरोल था
जे बातें ऐसे बता रए जैसे
आम लोगन कू पैले से पतो ई न था।
एक्सीडेंटल न होकर सुनियोजित होता तो उस पर किसी और का कंट्रोल
नहीं होता क्या?
जे वाला बेलगाम हैगा क्या?
बेलगाम कोई न होत्ता,
बस यू देखना पड़े के यो लगाम ससुरी है किसके हाथ मै।
आम जन के हाथ में लगाम न होती कभी। उनके हाथ में तो केवल लगान होता है
ये बात आम जन और मैंगो पीपुल सब कू मालूम है
कोई सिकायत भी न करता इस बात की ।
इसी को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व कहवें (जादा एक्सप्लेन 'उखाड़ लेंगे' वाली पंक्ति के बाद किया गया हैगा)।
तो, जे जो नियोजित किया गया है न,
जे जो एक्सीडेंटल नाय हैगो,
इसके बी सब सीक्रेट सब कू मालूम ऐ।
इसके भक्तों को बी मालूम हैंगे (जैसे उसके भक्तों को मालूम थे)।
कई तो इसके भक्त हैं ही इसीलिए के उन्हें वो सब मालूम है।
उन भक्तों को चईए ई ऊ।
विकास लेके ऊ के करेंगे?
स्वच्छता अभियान के उनके अपने मतलब हैंगे।
सब कौ पतौ जे नियोजित है और आन वारा बी नियोजित ई होएगो।
एक्सीडेंटल बी होयगो तौ हम्म के उखाड़ लेंगे।
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शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का अर्थ है आप इन्सेक्योर रहें और वो सेक्योर।
आप सिर्फ इसी बात से सुरक्षित महसूस करें के उसकी निगाह आप पर न पड़ी।
वरना वो जब चाहे आपको मार दें और आप चूँ न करें और कातिलों को थैंक यू कहें कि वो और बुरी तरह से आपको मार सकते थे लेकिन उन्होंने बख्श दिया।
आपमें ऐसी दिव्य भावना की मौजूदगी को वो समय-समय पर दंगों, इंकुइरी (inquiry) इत्यादि से टेस्ट करता रहता है और शासित होने का शार्ट टर्म कोर्स आपको करवाता रहता है।
आप डर-कर-मर-कर टाइम पास करते हैं। सामने से आता कोई आपका कुशल मंगल पूछता है तो आप कह देते हो - ठीक ही चल रहा है सब।

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