शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

नागरिकता संशोधन क़ानून

 मैं बेहद ईमानदारी से यह यकीन करना चाहता हूँ कि 

जो लोग सिटीज़नशिप अमेंडमेंट क़ानून का विरोध कर रहे हैं 


18 December 2020


वे ऐसा इसे बिना पढ़े कर रहे हैं 


और यह भी कि वे लोग 

विरोध करने के आदी हैं 

और देश के विकास के विरोधी हैं 

और कभी उनकी अपने धर्म के तो क्या 

सगे भाईयों तक से नहीं बनी। 


तभी तो यह विरोधी ग़ैरमुल्की हमधर्म को आने नहीं देना चाहते


इस ब्यूटीफुल ऐक्ट का विरोध करने वाले लोग ग़ैर ज़िम्मेदार हैं और ऊलजुलूल बातें करने के शौकीन हैं। 


उनके पास बहुत पैसा और संसाधन हैं और उन्होंने सोचा कि 

बैठे-ठाले क्या करें, रुपया तो आप-से-आप पैदा हो रहा है। 

तो चलो विरोध करते हैं। और वे बग़ैर कुछ सोचे समझे 

सीएए (नागरिकता संशोधन क़ानून) का विरोध करने लगे। 


इन विरोधकों में से कइयों को तो इस सर्दी में पुलिस की लाठियाँ खाने से विशेष प्रेम है।


और जो लोग इस क़ानून (नाम एक बार फिर बता दूँ, सिटीज़नशिप अमेंडमेंट ऐक्ट) के समर्थन में हैं

वे इसे मात्र पढ़कर ही नहीं,

अपितु इसका आमूलचूल अध्ययन करके आए हैं। 


उन्हें अपने सभी हमरिलीजनों से बहुतै जादा मुहब्बत है 


कि वे सगे भाईयों से कभी नहीं लड़े और अपने धर्मिंदा लोगों को अपनी ओर से जो हक़ उन्हें अपने तौर पर देना चाहिए 

उन्होंने दिये हैं।


दिल्ली, गुजरात और मुंबई में (अमंग्स्ट अदर्स) बिहार के लोगों को जो इज़्ज़त हासिल है 


उससे कहीं अधिक ज़्यादा पुरख़ुलूस मुहब्बतो-अक़ीदत से,

बाहर से आने वाले लोगों का वेलकम 


देश के यह सच्चे समर्थक करेंगे जो मेजॉरिटेरियनिज़्म और माइनॉरटी-इज़्म से कोसों दूर हैं।


सताए हुए लोगों का बाहें खोलकर स्वागत करेंगे इस क़ानून के समर्थक क्योंकि वसुधैव कुटुंब come नामक हाई-डेफिनेशन और हाई-रिज़ॉल्यूशन के ओजस्वी विराट थॉट से सम्पृक्त हैं दीज़ लरनेड पीपल।


तो दिलाइए मुझे यक़ीन।

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